वो छम-छम सी झन्कार
जैसे पायल कि आवाज
वो बारीस कि फुआर
संगीत कोई सुनती है
बिजली बिगुल कोई बजाती है
वो सोन्धी सोन्धी सी महक
रुह मे कही बस जाती है
ऐसे में तेरी याद बहुत आती है
अब नया सा है हर ओर
धुला सा है भोर
गुम हो गए है सोर
सन्टा है हर ओर
कही से होरन कि आवाज आती है
चिडिया भी चीं-चीं चिलाती है
पत्ते से एक बुन्द
हथेली पर गिर जाती है
ऐसे में तेरी याद बहुत आती है।
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